कितनी खूबसूरत होती है - ख़्वाबों की , ख्यालों की दुनिया, है न ? और उसपर वो साथ हो तो सफर और भी खूबसूरत हो जाता है - अधखुली आँखों के जागे -सोये सपने। बस शायद इसलिए रह रह के दिल गुनगुनाने लगता है - गाने लगता है ... हाँ , ये एक गीत है - जिसकी एक धुन सोची भी और गुनगुनाई भी, रिकॉर्डिंग soundcloud पर मौजूद है, ये रही वो लिंक -
तुम साथ हो तो
सफ़र ख़ूबसूरत
दुनिया की किसको फ़िकर ?
कह दूँगी मंज़िल से
फ़ुर्सत नहीं है,
आना फिर मेरी डगर
ख़्वाब, तुम आँखो में ...
प्यार,तुम बातों में ...
साँस, तुम शानो में ...
ढल जाना शामों सहर
कह दूँगी रातों से ...
रुक जाओ तुम ...
आ जाना अगले पहर ...
गीत, तुम होंठो पे
नज़्म,तुम ज़ुल्फ़ों में
गज़्ल , तुम जिस्मों में
रूक जाना, जाना ठहर
कह दूँगी लफ़्ज़ों से
ढल जाना तुम
बूँदों में जैसे लहर
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