शोर उठा पुरज़ोर उठा - चोर आया चोर आया
चोरों की बस्ती में देखो आज एक सिरमोर आया
सरहदों के सीने पे कल रात फिर बंदूके चली
आज तिरंगे में लिपट माँ का एक चितचोर आया
एक चिंगारी उठी और शहर ये जल उठा
काट भाईचारे की नाज़ुक कोई कहीं एक डोर आया
रहे नफ़रत का अँधेरा रात काली ही रहे
कोई सियासतदा भड़का दंगे चारों ओर आया
बेटियाँ जलती रहे और बेटियाँ मरती रहे
नोचने अस्मत को देखो समाज आदमखोर आया
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