गुलमोहर की धमनियों में
तहज़ीब गंगो-जमुनो रंग घुला है
कि शाख़ें है हरी सी
और फूल गेरुआ है
अमन का शौक़ पाले है
कुछ गुल गुलिस्ताँ में
जिधर नज़र भी फेरिए,
रंग सफ़ेद सा हुआ है
कुछ फूल कुछ पत्तियाँ,
बदलते है रंग बार बार
सियासी हुआ शज़र ये ,
अब सबको यही ग़ुमा है
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