2 April 2018

है इल्तज़ा - कुछ तो बता

Boy-
है इल्तज़ा ....कुछ तो बता ?
ऐ ज़िंदगी मुझे क्यूँ दी है सज़ा ?
गुज़र गया था जो पल, है ठहरा हुआ 
कुछ भी सुना न मैंने,  जो तूने कहा
है इल्तज़ा ....कुछ तो बता ...


Girl -
मैं ज़िंदगी यहाँ पे ठहरी हुई 
गूँगी हुई मै .....बहरी हुई ...
चाहा तुझे है मैंने हाँ ... बेपनाह 
पर हूँ मैं ऐसी मंज़िल जिसकी न राह ....


Boy-
कोई हो सागर मेरा 
होगा कहीं तो सवेरा 
काली सी स्याही वाली 
ख़त्म न होने वाली 
रातों की क्या है रज़ा ...
है इल्तज़ा ....कुछ तो बता ?

Girl-
पानी का रंग न है जिस्म कोई 
रातें है हिज़्र की ज्यूँ किश्त कोई 
सज़दा किया है मैंने ,की है अता
दे दे मुझे खुदा या दे दे क़ज़ा 

Boy -है इल्तज़ा ....कुछ तो बता ?

Girl - दे दे खुदा मुझे तू या  दे क़ज़ा

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