25 February 2018

थोड़ी सी हाँ, नाराज़ है ज़िंदगी !


थोड़ी सी हाँ ....नाराज़ है ज़िंदगी ...
एक हरारत सी है ....नासाज़ है ज़िंदगी ....
तुम मुस्कुरा दो अगर वो भी मुस्कायेगी  .... 
हाँ ..हाँ ..हाँ ..

दर्द के ये अंधेरे 
भी छँट जाएँगे ...
रास्ते तनहा सही 
वो भी कट जाएँगे ..
तुम पुकारों ख़ुशी वो यहाँ आएगी 
थोड़ी सी हाँ ....

जागती आँखो में 
नींद जाएगी ...
आसमां से उतर
एक परी आएगी 
ख़्वाब पलकों पे वो कुछ सजा जाएगी 
थोड़ी सी हाँ ....

डोर साँसो की 
थोड़ी नाज़ुक हुई 
मौत की ज़िंदगी को 
चुभी एक सुई 
दूर तारों से अब एक सदा आएगी 

तू नहीं ....अब ज़िंदगी, कैसे मुस्कायेगी ?? 




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