23 February 2018

कहानी हूँ मैं दाग़ की

टूटे से गुल पनाग की 
कहानी हूँ मैं दाग़ की 

जली हूँ रोशनी से मैं 
बुझे से इक चिराग़ की 

लिखे कोई तो दास्ताँ 
उजड़े हुए से बाग़ की 

धुआँ नहीं गरमी नहीं,क्यूँ 
ठंडी है वस्ल आग की

बिंधी हुई टूटी हुई तितली
अपने ही रेशमी ताग़ की 








No comments: