26 February 2018

हाँ ... ख़्वाब हूँ

हाँ ....ख़्वाब हूँ .....एक अधूरा .....
माने कोई .... ना जाने  कोई ....
ख़्वाहिशों की ...
भीड़ में हूँ ...
दर्द में हूँ ..
पीड़ में हूँ ...
हाथ थामें कोई ...
हाँ ....ख़्वाब हूँ ...

देह पे, नेह के 
रंग तो घुले !
आँखो से आँखो के   
हो सिलसिले !
मिलने के यूँ  ढूँढे तुमसे 
कितने  बहाने कोई ...
हाँ .. ख़्वाब हूँ ...


वक़्त ने ज़िंदगी को 
कुछ पल दिए !
ज़िंदगी ने ज़िंदगी के 
कुछ पल जिए !
साँसों की इस डोर को यूँ 
कितना ताने कोई ...
हाँ ... ख़्वाब हूँ .. 






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