15 February 2018

देख लूँ तुम्हें

सुनो ... 
कुछ कहोगे
तो अब तुम कहोगे 
तुमने कहा था
सुनो
अतः मैंने सुना ! ‘

ओफो !! 
मगर ये तो 
बात करने की 
एक रीत है।
बेतरतीब सही 
मगर ये प्रीत है

देखो 
मुझे शब्दों में उलझाओ 
सुनो 
इश्क़ पहेली है,
सुलझाओ!

बस एक बार 
देख लूँ तुम्हें 
जी भर ....
देह , प्राण 
हो जाएँगे तर ...
और आवाजों से  
शब्द स्वयं 
जाएँगे झर  !

सुनो 
क्यूँ  
ख़त्म कर दे 
कहने सुनने का 
ये सिलसिला !

बस 
फिर होंठ कहेंगे 
होंठ सुनेंगे !
देह कहेगी 
देह सुनेगी !
और ये  शब्द
 बेमानी हो 
शून्य से टकरा
शून्य में 
विलीन हो जाएँगे



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