1 February 2018

बेताल

ये रात हर रोज़ 
बेताल सी 
वक़्त के काँधे पर 
लदे चली आती है
ये रात वक़्त को
कहानी सुनाती है,
चाँद की तारों की 
निहारिकाओ की
सुबह होते ही वह 
सवाल पूछती है
वक़्त दिन भर 
पूछे गए उन सवालों का 
उत्तर ढूँढ लाता है 
और फिर से 
रात का बेताल 
उड़ कर 
लटक जाता  है 
उम्र के पेड़ पे 
और एक शाम के
ढलने का इंतज़ार करते ...



# बस वें ही

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