13 July 2017

तेरी रूह की सलवटें सब मिटा दूँ

चेहरे से तेरे, मैं चेहरा सटा दूँ 
तेरी रूह की  सलवटें सब  मिटा दूँ 

किताबों में सूखी 
 वो फूलों सी यादें 
समय से है  रिसतीं 
उमर की वो  रातें 
तेरे, रात और दिन को ऐसा सिला दूँ 
 जो है फ़ासला, दरमियाँ, सब  मिटा दूँ 

आँखो में धुँधले 
धुएँ से  वो सायें
जलते हुए जिस्म
सहमी सी आहें 
 बुझी  सी राख सा  तू , तुझे  शोला बना दूँ 
जो शिकवा गिला है, आ सब मिटा दूँ 
तेरी रूह की  सलवटें सब  मिटा दूँ 






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