चेहरे से तेरे, मैं चेहरा सटा दूँ
तेरी रूह की सलवटें सब मिटा दूँ
किताबों में सूखी
वो फूलों सी यादें
वो फूलों सी यादें
समय से है रिसतीं
उमर की वो रातें
तेरे, रात और दिन को ऐसा सिला दूँ
जो है फ़ासला, दरमियाँ, सब मिटा दूँ
आँखो में धुँधले
धुएँ से वो सायें
जलते हुए जिस्म
सहमी सी आहें
बुझी सी राख सा तू , तुझे शोला बना दूँ
जो शिकवा गिला है, आ सब मिटा दूँ
तेरी रूह की सलवटें सब मिटा दूँ
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