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वो पूछते है,
अक्सर मुझसे -
यूँ बेवजह रोने
की वज़ह क्या है ?
मैंने कहा -
मैंने आँसुओ से
कभी पूछा ही नही !
वो तो बस ज़िद करते है
.. चले आते है!
दिल में गुबार हो!
या ख़ुशी बेशुमार हो ,
बस मेरी पलकों से
मेरे गालो पे
बेसाख्ता लुढ़क जाते है।
छोटे थे तो अम्मा के
पल्लू में सिमट जाते थे
कभी अब्बु की गमछे में
दुबक जाते थे !
अब तो
बड़े हो गए है !
बस आवारा से
घूमते है !
कोई भी
दर्द कही पे पड़ा हो
अपनी, उसकी,
इसकी, सबकी
आँखों को चूमते है
हाँ , ये आँसू मेरी पहचान है
जीने का सामान है
तो क्या हुआ
गर
ये आंसू मेरे
थोड़े से नादान है !
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