20 June 2017

आँसू -revisited !

Courtesy  Internet 

वो पूछते है, 
अक्सर मुझसे -
यूँ बेवजह रोने
की वज़ह क्या है ?

मैंने कहा -
मैंने   आँसुओ से
कभी पूछा  ही नही !
वो तो बस ज़िद करते है
.. चले आते है!


दिल में गुबार हो!
या ख़ुशी बेशुमार हो ,
 बस मेरी  पलकों से 
मेरे गालो पे
बेसाख्ता लुढ़क जाते है।

छोटे थे तो अम्मा के
पल्लू में सिमट जाते थे
कभी अब्बु की गमछे  में
दुबक जाते थे !

 अब तो
बड़े हो गए है  !
बस आवारा से
घूमते है !

कोई भी 
दर्द कही  पे पड़ा हो
अपनी, उसकी,
इसकी, सबकी
आँखों को चूमते है

हाँ , ये  आँसू मेरी पहचान है
जीने का सामान है
तो क्या हुआ
गर
ये आंसू मेरे
थोड़े से नादान है !

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