इस सफ़र का तू अंजाम - लिखूँगी !
लफ़्ज़ लफ़्ज़ पढ़ लूँगी तुझको
फिर ग़ज़ल कोई तेरे नाम - लिखूँगी !
रात की स्याही -काली गहरी
आँखो की भाषा - गूँगी बहरी
लब से , लब पे पैग़ाम -लिखूँगी
फिर ग़ज़ल कोई तेरे नाम -लिखूँगी
दरिया सी हूँ मैं -कब मैं ठहरी
सूरज की हूँ मैं -आब सुनहरी
नाम तेरा सरे शाम -लिखूँगी
फिर ग़ज़ल कोई तेरे नाम -लिखूँगी
#sandhya
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