बेफ़िक्र और बेवजह
ख़ुशबुओं की तरह,
ले चल मुझे ऐ हवा
चाहे जहाँ ...जिस तरह
ख़ाली सी सड़कों सी
है मेरी ...... तनहाइयाँ
अंधेरो में खो गई है
कहीं मेरी ...... परछाइयाँ
खो गई शोर में ......
खामोशियाँ जिस तरह ......
आ चल संग हवाओं के
जाने कहाँ किस तरह ......
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