28 January 2017

आजा बाहों में  बसा लूँ 
तुझे तुझ से  ही  चुरा लूँ 
तेरी ख्वाहिशों  को  जी   लूँ
नीली आँखो से मैं पी लूँ 


दिल  के भंवर में   फँस गई हूँ
साँसों सी  क्यों मैं रुक गई  हूँ
बागी हुए अरमान क्यूँ
आँखे क़त्ल का सामान ज्यूँ 

एक शोला हूँ तुझे जला दूँ यूँ
आग   पानी में लगा दूँ ज्यूँ
तेरे अंग  अंग को यूँ सुलगा दूँ
तुझे जन्नते भुला दूँ ना मैं क्यूँ

आजा बाहों में तुझे बसा लूँ
तुझे तुझसे  ही चुरा लूँ

मेरा बदन हुआ है मोम ज्यूँ
छुआ तो बिखर गई  मैं रेत ज्यूँ
तेरी साँसों को मैं महका दूँ
कोई मोग़रा हो बहका ज्यूँ
तुझमें ही मैं यूँ ...घुल जाऊँ
सागर में मौज ...हो ज्यूँ

आजा बाहों में ..मैं बसा लूँ
तुझे तुझसे  ही ..मैं चुरा लूँ

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