20 December 2016

गुम सुम .... बैठे हो क्यूँ यूँ तुम



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गुम सुम .... बैठे हो  क्यूँ यूँ तुम
ग़ुमसुम ... बैठें हो क्यूँ यूँ तुम 
आओ न मेरी बाँहों में तुम समा जाओ 
हो जाओं गुम .... 
ग़ुमसुम ... बैठें हो क्यूँ यूँ तुम ...


काजल से कारे है 
आँखों के धारे है 
तेरे नैनों को 
नैना पुकारें  
पास आओ   न तुम 
गुमसुम  ..., बैठे हो क्यूँ यूँ तुम 


ख़्वाहिश की बूँदे  है 
पलकों को मूँदे  है 
फिसलें ये मुझपे
तन को यूँ छूए  
आओ छूओ  न तुम 
गुमसुम  ..., बैठे हो क्यूँ यूँ तुम 


दिल ये कहता है
तू दिल में रहता है 
बनके  नशा तू यूँ 
रग रग में  बहता 
आओ बहकाओ तुम 
गुमसुम..., बैठे हो क्यूँ यूँ तुम . 


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