याद है वो कौन सा दिन था जब तुमने मुझे पहली बार देखा था ?
हाहाहाहा ....
सच कहे हमें तो ऐसी कोई भी बात याद नहीं!
वो जैसे कि नावेल में, कथा, कहानियों में कहते है न - "चोरी चोरी नज़रे मिली ! "
नही भई, हमारी कहानी किसी नावेल सी नहीं है। कोई पटकथा, कोई संवाद नहीं है हमारी प्रेम कहानी में !!
अब ये भला कैसी कहानी हुई ?
है न !
हमारी कहानी में सिर्फ हम ही हम है। .. हमारे वो तो कहीं है ही नहीं ?
-कहाँ गए ?
-वो तो सिर्फ एक ख्वाब है, एक ख्याल है ...... हाँ, कभी किसी से प्यार (नहीं जानते कि वो प्यार ही था ? ) किया था।
हमने शायद प्यार उनसे नहीं किया !!! नहीं, वो कोई हीरो की तरह खूबसूरत नहीं थे - हमें तो फ़िल्मी हीरो वैसे भी पसंद नहीं ख़ास ! हमारे लिए खूबसूरती कभी मायने नहीं रखती थी
हमें तो पसंद थी -
उनकी intelligence , उनकी fighting spirit, गलत के खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत , उनका चश्मा , उनकी कलम - उनकी कविताएं, और शायद वो भी - हाँ, वो भी !
आज भी उनकी परछाइयाँ है हमारे इर्द गिर्द - हम उन्हें कहीं न कहीं ढूँढ ही लेते है !
जानते है हम कि तुम कोई नहीं हो - कहीं नहीं हो - मगर फिर भी हम जीते है तुम्हे हर रोज़ - थोड़ा थोड़ा !
तुम सुनो या न सुनो - हम तो हर रोज़ आवाज़ देते है तुम्हे .....
ज़रा सुनो तो मेरा दिल कुछ कह रहा है - ओहो! लो ये तो शिकायत कर रहा है तुम्हारी !
हो गया तू .……… लापता !!
तेरी ही बाते,
वो मुलाकाते,
पूछती है तेरा ही पता.....
हो गया तू .……लापता !!
बारिश की बूंदो में
भीगे जब हमतुम,
उसमे बारिशों की, क्या थी खता !
मौसम सा रूठा, तू क्यों बता ?
हो गया तू.……… लापता !!
ग़ज़ल मैं बनी थी,
तू था, गीत मेरा।
यूँ मुझ पे, न अहसान जता !
सुन हमकदम, तू न यूँ सता !
हो गया तू.……क्यूँ लापता !!
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