3 July 2016

बस अब और नहीं !!!!

नींद खुली थी रात सवा चार बजे... ट्रैन दौड़  रही थी अपनी रफ़्तार से... सब सो रहे थे। . थक गए थे दिन भर पैकिंग करते  .... खाया भी नहीं था।

 .और अभी तो सात बजे आना था स्टेशन  .... 

मोबाइल पास ही था। 
.. उठाया। 
.. कुछ लिखा था किसी को  .... जवाब की उम्मीद में सो गई थी ...... 
पढ़ा  ...... समझ नहीं आया कुछ भी  ...... 
वो दो साल पहले वाला मंज़र आँखों के सामने घूम गया  ..... 
शायद इतिहास दोहराता है खुद को ..... 

वाशरूम जाने को उठी  .... मन  हुआ चलती हुई गाडी से कूद जाती  ....... 
रोना आ गया   ...... 
रोती रही थोड़ी देर  ...  
दरवाजे से गुज़री   ...... लेकिन कोई आज मुझे 108 में ले जाने वाला भी नहीं था  .... 
सोचा  - नहीं  .. अबके नहीं!  .. घर पे सब मेरे वापस आने का इंतज़ार कर रहे है। 
गलती मैंने की थी - नही - गुनाह किया था मैंने - मेरी सजा तो मिली मुझे   ...... पर 
सब का तो दोष नहीं था न !!!

इस बार  ..... 
तय किया सज़ा अकेले ही भुगतनी है  ...... मेरे हिस्से के गुनाह है ..... मेरे करम है 

 हालांकि सब ठीक नहीं है .....  लेकिन ठीक हो जायेगा सब  .... 
 मगर अब के तय किया है - बस अब और नहीं !!!! 

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