24 June 2016

कितना खुल कर जीते हो तुम


"पता है  अयान , आज मैंने भी एक  पेग ली है" - साबिया  ने चैट  में लिखा था।
" ओ wow ,really, तुम पीती भी हो ?  हे  डॉक्टर ! तुम  झूट बोल रही हो " अयान ने लिखा था।
" अरे नहीं बाबा , हाँ  ये सच है कि  पहले नहीं पीती थी  , in fact I hated people who drank - but I realised - it helps u ease ur pain " साबिया ने लिखा था

" ग्रेट। .... कभी हम मिले न तो एक एक पेग पक्का " अयान ने लिखा था

" wow  ....  I will love to join you - instead of meeting over a cup of coffee, it would be a meeting over a peg of rum - that's  what I drink, ok ?" साबिया ने लिखा था

" what - rum ? and I thought girls loved vodka and gin over rum ... its men's drink - rather a hard drink "  -अयान ने मुस्कुराते हुए लिखा था।

"lol" साबिया  ने लिखा था।

"साबिया!  .. देर रात हो गई है  ... सुबह तुम्हे जल्दी   जाना है न  ऑफिस "  मम्मी की आवाज़ आई थी बैडरूम से।
"सुनो  - अब दिन में ऑफिस में बात करेंगे - ओके अभी गुड नाईट " साबिया ने फटाफट उंगलिया घुमाई अपने लैपटॉप पर ।
" बाय " अयान ने लिखा था

अयान एक मैकेनिकल इंजीनियर था , अपना पेटेंट फाइल किया था उसने।  अपना  CNG  GENSET  बनाया था उसने - जहाँ की उसका GENSET , diesel  इंजन के मुकाबले २५% फ्यूल कम  लेता था।
और उधर साबिया खुद पेशे से एक डॉक्टर थी।  MBBS  की internship  का आखरी साल था।
साबिया और अयान याहू चैटरूम में  मिले थे कुछ महीनो पहले।  आयन technical  फ़ोरम्स में बहुत पॉपुलर था - खास तौर पर   deisel  और cng  इंजिन्स में जो उसकी expertise  थी  उनका टेक्निकल , financial  हो , ergonomics  या फिर   commercial  aspect हो।  चैटरूम  -  हालाँकि  साबिया बिलकुल  अलग field से   थी मगर   cars  उसका passion  थी।  उसके पास।
वो अलग बात थी अयान ऑटोमोबाइल इंजिन्स पर काम नहीं कर रहा था मगर बस ऐसे ही एक चैट  रूम में diesel  इंजन फोरम देख एंटर हो गई थी।  बस उसकी knowledge  पर  फ़िदा हो गई थी साबिया।
बस फिर तो अक्सर चैट  रूम में मिलते थे अयान और साबिया।  करीब  साल हो गया था दोनों को युहीं बातें  करते हुए।

यूँ तो दोनों के  तो देश भी   अलग  थे  - अयान हिंदुस्तान से था और साबिया - पकिस्तान से।
साबिया अक्सर बताती - उसका पाकिस्तान कितना खूबसूरत है!   कराची में रहती थी  वो।  बताती की - वहाँ  का  खान पान, लोग  कितने सीधे और सच्चे है वहाँ ।  
और यहाँ - अयान उसे कभी  ताजमहल तो कभी जयपुर के हवामहल के बारे में बताता।  बताता -  ख़्वाजा  मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के बारे में , लखनऊ की तहज़ीब या फिर  कश्मीर की वादियां  की 

यहां अयान विशुद्ध  तमिल iyer  ब्राह्मण था और वहाँ साबिया पूरी मासाहारी - चिकन  से लेकर मटन और बहुत कुछ चटखारे लेकर खाने वाली चटोरी लड़की।
अयान बताता  की उसकी   मम्मी  कितनी अच्छी कुक है।   कभी इडली तो कभी अपने घर में बनाने वाले अप्पम के बारे में बताता था।

दोनों में अक्सर बहस छिड़ जाती कि  इंसान को ज़िंदा रहने के लिए माँसाहारी  या शाकाहारी ? और साबिया अड़  जाती - डॉक्टर मैं हूँ या तुम।

बस ऐसे ही एक दिन लिखा था साबिया ने की उसने एक पेग ली है।  उस रात अयान को देर तक नींद नहीं आई थी।  यूँ तो न जाने कितनी लड़कियों से वो fake -id  म=बना कर बाते किया करता था।  चैटिंग की उसे आदत सी थी।

लेकिन साबिया अलग थी।  वो और लड़कियों से थोड़ी अलग थी।  सुलझी हुई समझदार और वो  शराब पीये - ऐसी तो नहीं थी।  और पकिस्तान में लड़ियों को इतनी आज़ादी कहाँ थी ?
और फिर उसने ऐसा क्यूँ कहा था की इससे दर्द में रिलीफ मिलती है - साबिया को क्या दर्द था ? इतने दिनों में कभी जिक्र नहीं किया था उसने।  क्या किसी तकलीफ से गुज़र रही थी ? क्या कोई बॉयफ्रेंड था उसका जिसने उसे ditch  कर दिया था या उसकी शादी मर्ज़ी के खिलाफ हो गई है और वहां वो बहुत दुखी है - ऐसे न जाने कितने सवाल रात भर अयान के दिमाग में घूमते रहे रात भर।

सो भी नहीं पाया था अयान ठीक से उस रात।

अगले दिन सर भारी -  ऑफिस पहुच कर सीधे याहू मैसेंजर पर बैठा इंतज़ार करता रहा साबिया का।  ऑनलाइन नहीं आई उस दिन।
और ऐसे जाने कितने दिन गुज़र गए  ..... शायद महीना होने को आया था - कोई खबर नहीं थी साबिया की।

और फिर एक दिन मैसेज आया था साबिया का।  साबिया ने बताया था वो इंग्लैंड जा रही है , करीब एक डेढ़ महीने के लिए - लिखा था -  मेडिकल टूरिज्म के सिलसिले में।

अक्सर कहा करती थी साबिया -  क्लिनिक खोलना चाहती थी अपना, शायद इसी सिलसिले में जा रही होगी !

 अपना मोबाइल नंबर दिया था अयान ने साबिया को , हलाकि डॉन  ने कभी बात नहीं की थी - दोनों देश के रिश्ते देखते हुए - रिस्की जो था।
फ़ोन आया था साबिया के  नंबर से - साबिया के पापा बोल रहे थे।

उन्होंने कहा था अयान , साबिया तुम्हारा नंबर  गई थी।   कहा था उसने की उसके  जाने के बाद अयान को फ़ोन करके बता दे।
आयन कुछ समझ नहीं पाया था ? जाने के बाद ?
 - अच्छा, शायद शादी हो गई होगी साबिया की और उसके ससुराल से इस तरह की दोस्ती की  इज़ाजत  नहीं होगी।  बहुत खुश हुआ था आयन ये सोचकर ।  कहा था उसने साबिया के  पापा -  मेरी और से लाखो बधाईयाँ।  साबिया को अपना जीवनसाथी  जो मिल गया था आखिरकार !
उसकी ख़ामोशी को तोड़ते हुए साबिया के पापा   था  - साबिया उन्हें हमेशा के लिए  ख़ुदा  को प्यारी हो चुकी थी। साबिया  को छह महीने पहले  कैंसर detect   हुआ था।  बस तबियत बिगड़ती गई थी साबिया की - पकिस्तान से लाया गया था उसे इंग्लैंड।  जहाँ लंबे इलाज़ के बाद उसने दम तोड़ दिया था।

साबिया ने अपने पापा से कहा था की अयान को ज़रूर  बता दे उसके जाने के बाद - सरहद पर  की दोस्ती थी -  बिना बताये  जाना नहीं चाहती थी साबिया।
सदमे में था अयान।
अब समझ आया  था  अयान को   कि  क्यूँ कहा  था  साबिया ने - but I realised - it helps u ease ur pain !!

अब अयान चैट  नहीं करता था कभी  ... मगर  जब भी दो पेग लेता था  तब सरहद पर की साबिया की दोस्ती उसे ज़रूर याद आती है।

 वो कहती थी -

कितना खुल कर जीते हो तुम
जब दो पेग ज़्यादा पीते हो तुम

नशा चढ़कर बोलता है कैसे कैसे 
जब जब शराब से रीते हो तुम 

वक़्त देता है तुम्हें ज़ख़्म रोज़
रोज़ एक ज़ख़्म सीते हो तुम 

वक़्त बदला पर तुम न बदले
सुनो ख़ुद से भी गए बीतें हो तुम

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