ऐ नींद,तुम सुनो न पलकों के ये फ़साने
उन को ही देखती है ये ख़्वाब के बहाने
जाना कहाँ मैं चाहूँ, चलती कहीं मैं जाऊँ
दिल ले मुझे चला है किस ओर कौन जाने
उड़ते फिरे ये केसु रह रह के यूँ हवा में
डस लेंगे जान तुझको गर तू कहा न माने
बारिश ने क्यूँ छुआ था तुझको मुझे बता दे
रह रह के दे रही है वो आज मुझ को ताने
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