ज़िंदगी का हाथ थामे
चल पड़े क़िस्से पुराने
कितने रस्ते मुड़ गए ये
कितनी राहें रुक गए ये
हर मोड़ पर देकर सदा ये
लगे तेरी बातें बताने
रूमालों में तुड़ -मुड़ गए ये
जिल्द में कुछ छिप गए ये
चले आए कब ये मुँह उठाए
क्यूँ कहाँ ये कोई न जाने
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