10 April 2016

ख़्वाहिशों ने पहना है चाहतों का जामा सा



ख़्वाहिशों  ने पहना है

चाहतों का जामा सा

ख़यालों का दिल में मेरे
क्यूँ है आना जाना सा



ऐसे बाँहें फैलायें  ...
राहें किसको बुलाए ?
कभी  युहीं चल पड़े औ'
कभी रुक रुक ये जायें...
इन मंज़िलो पर  तेरा (2)
क्या है आना जाना सा



नींदों में हमारे ... 
सपने तुझको पुकारे
तुझको हर पल निहारे
,   हाय मुझको क्या हुआ रे
ख़्वाब के दरिचो में तेरा (2)
क्या है आना जाना सा

ख़्वाहिशों  ने पहना है
चाहतों का जामा सा
ख़यालों का दिल में मेरे
क्यूँ है आना जाना सा

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