इन हवाओ को छू लूँ क्या मैं
बोलो ना ...
बोलो ना ...
बाँहों में आसमा ये ले लूँ क्या मैं ,
बोलो ना ...
बोलो ना ...
वो दूर दूर फैली
जो नीली उलझने है
जो नीली उलझने है
चिनारों में फिसलकर
झीलों से बोलती है
झीलों से बोलती है
वो क्या बोलती है,
बोलों ना ...
बोलों ना ...
रातों के दिल में भी कुछ
दबी सी ख़्वाहिशें है
दबी सी ख़्वाहिशें है
वो साँझ और सुबह के
कानों में बोलती है
कानों में बोलती है
वो क्या बोलती है,
बोलों ना ...
बोलों ना ...
खिड़कियों से छनके
आई सुनहरी धूप है जो
आई सुनहरी धूप है जो
आहातो में खिलखिलाकर
कुछ तो बोलती है
कुछ तो बोलती है
वो क्या बोलती है,
बोलों ना ...
बोलों ना ...
ये सिरफ़िरी सी राहें
बलख़ा के मुड़ रही है
बलख़ा के मुड़ रही है
राही से, मंज़िलो से,
रह रह के बोलती है
रह रह के बोलती है
वो क्या बोलती है,
बोलों ना ...
बोलों ना ...
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