3 February 2016

थोड़ा सा खुद से मुझे जुड़ने दे .....

ख़्वाबों में अपने मुझे उड़ने दे। 
थोड़ा सा खुद से मुझे जुड़ने दे।।

डोर बंधी है , साँसों से तेरी 
इन डोरियों को उलझने दे 
थोड़ा सा खुद से मुझे जुड़ने दे  .....         

रात है बैठी आस लगाये 
शाम सा  मुझको तू  ढलने दे। 
थोड़ा सा खुद से मुझे जुड़ने दे  ..... 

खुशबु है कोई बिखरी हवा में 
खुशबु सा तुझसे लिपटने दे  ..... 
थोड़ा सा खुद से मुझे जुड़ने दे  ..... 

आग बुझी, आग लगी फिर 
शोलों में तेरे मुझे जलने दे  .. 
थोड़ा सा खुद से मुझे जुड़ने दे  ..... 

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