आज फिर से ख़रीदे है ज़ख़्म कई
आज फिर से पिया है दर्द ज़रा ...
आज फिर जी उठा मुझमें कोई शख़्स नया
आज मुझे में मरा है कोई मुझसा ज़रा ...
कितने ख़ाली जाम किए मयकदे में
जब भी इन आँखों में पानी भरा ...
मेरे ख़्वाबों के रंग फीके रहे
पर तेरे ख़्वाबों में रंग, धानी भरा
इश्क़ और मुशक़ से हूँ मैं परे
ऐ ज़िन्दगी अब न मुझको डरा
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