30 January 2016

आज हुआ कोई, ज़ख़्म हरा

 
आज हुआ कोई, ज़ख़्म हरा 
आज उठा फिर, दर्द ज़रा ... 

जी उठा कोई शख़्स फिर मुझमे 
मुझसा कोई फिर, मुझे में मरा ...

ख़ाली कितने जाम किए है 
जब जब आँखों में पानी भरा ...

इश्क़ औ' मुशक़ से अब हूँ परे 
ज़िन्दगी फिर, न मुझको डरा .... 







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