22 January 2016

Holi


देख, हमको,  कान्हा! 
तू रंग न लगाना। 
जो देह रंग बिखरे 
सखियाँ भी देंगी ताना। 

सुन लो यशोदा मैया 
राधा की ये दुहाई,
किशन ने ग्वालो के संग 
चुनरी मेरी भिगाई 

पिचकारियों से मारे 
रंगो के वो फुहारें 
क्यूँ  गुलाल को मेरे  
 गोरे मुखड़े पे मला रे ?

कान्हा, ले मैं तो हारी 
हुई जीत ये तुम्हारी 
तुझ पे जाऊ वारी 
आई शरण तुम्हारी 

मैं तो प्रेम की दीवानी 
मेरा प्रेम रंग धानी 
मेरे अंग अंग लिखी है 
प्रेम रंग की कहानी 

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