21 January 2016

ये इंतज़ार यूँ ही ...



ये इंतज़ार यूँ ही  ... 
आखिर करेंगे  कब तक ?
काश वक़्त  इसकी भी  
मियाद तय कर  जाता ! 

बिखेरेंगे  हर्फ़ यूँ ही ....  
 बेज़ुबाँ  सफ़ों  पे कब तक ?  
काश  कोई सुख़नवर इनको भी   
 एक लय कर  जाता। 

पिएंगे   अश्क़  यूँ ही ...... 
मयकदे में  कब तक ?
काश  कोई  साक़ी इनको भी 
 मय  कर जाता 

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