25 January 2016

Holi - modifed





आया फागुन, आई होली, 
निकली ग्वाल बाल की टोली। 
करते मस्ती, हँसी ठिठोली, 
बृज में कान्हा खेले होली। 

श्याम रंग के श्यामल कान्हा! 
राधा को न रंग लगाना।
गोरी देह पे जो रंग लगे तो 
सासु, ननदिया देंगी ताना। 

पिचकारी से रंग क्यूँ डाला? 
बड़े हो नटखट नन्द के लाला ! 
गुलाल, अबीर लगा राधा को 
लाल पीला काहे कर डाला ?

 रूठी   झूठमूठ  की  राधा, 
मैया यशोदा करुँ  दुहाई ! 
तेरे लाल  ने ग्वालन   संग, 
 कोरी  चुनरिया लाल  भिगाई !

मंद-मंद मलकाये श्याम, 
चरणों  में दिखे चारो धाम। 
भाव विह्वल हुआ गोकुलधाम
 धन्य हुए तुम्हे पाकर श्याम !

बोली राधा - ले मैं हारी! 
जीत हुई, लो श्याम तुम्हारी!
तुझ पे जाऊ मैं वारी वारी 
आ गई मैं शरण तुम्हारी 

जिस पर प्रेम रंग चढ़ जाए 
उस को दूजा रंग न भाये
जब जब ऐसे फागुन आये 
बृज में कान्हा रास रचाये 


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