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खाली मकाँ हूँ मैं जैसे कोई, ऐसे न छोड़ जाइये
रिश्ता हूँ कोई भूल नहीं,यूँ रिश्ता न तोड़ जाइये
हर रास्ता मुड़ा यहाँ, हर सफर मुझी पे रुक गया
संग चले थे अब तलक, अब यूँ मुह न मोड़ जाइये
माना क़ि नहीं है चलन सुकून का, हम दोनों में कोई,
कोई रंजिश, कोई खलिश, रिश्ता-ऐ -दर्द जोड़ जाइए
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