13 December 2015

सूनी सी इन आँखों में मेरी,अब नीँद आये कहाँ ?


सूनी सी इन आँखों में मेरी,अब नीँद आये कहाँ ?
  होने लगा है मुझको, मुझमें, तेरे होने का गुमाँ.....

ऐ समुन्दर... अपने अंदर, तू समा  ले मुझे,
लहरो सा फिर रेत  पर,तू बिछा ले  मुझे ...
छोड़ कर अपने पीछे, पानियों के  निशाँ 

तेरे होने का गुमाँ.....

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