13 December 2015

शाम ढलने को है, आहस्ता आहस्ता

शाम ढलने को है, आहस्ता आहस्ता
इन फजाओ से सुन तेरी मेरी,  दास्ताँ ..

जब से पाया तुझे, हुआ है कुछ मुझे,
पैर पड़ते नही, अब ज़मीन पर मेरे .
बादलो पे चलती हूँ, तारे मेरा पता,   
ये  ज़मीन है मेरी, मेरा है आसमा  ....

तेरे पीछे पीछे, दीवानी मैं चलूँ,
तू रुके तो रुकूँ, चल पड़े  तो चलूँ,
हो गई खुद से मैं, जाने क्यूँ लापता
गुम है मंजिल मेरी,  गुम है हर रास्ता


मैं तो चकोर बन, चाँद देखा करू,
ख्वाबो में  तितली सी, आवारा यूँ फिरू
फूलो का खुशबु से, जैसे है  वास्ता

जाने जन्मो का है, तेरा मेरा राबता 

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