9 November 2015

Teenage दिल की बातें

यूँ तो पुरानी  पोस्ट है  .. तकरीबन 9/11 - ओह बाप रे क्या तारीख है  - नहीं भई घबराने की बात नहीं  .. ये तो पिछले साल की ही पोस्ट है . आज ही जो पोस्ट की है एक और कविता उसमे लिखा था वक़्त ने हमारे शरीर पर बेशक चर्बी का खासा मुलम्मा चढ़ाया है  - उसमे भी घोर randomness बरती गई है डिस्ट्रीब्यूशन के मुआमले में . 

खैर बात थी की दिल से हम कभी १६ की कमसिन उम्र पार ही नहीं कर पाए . 
 बहुताय कोशिश करते है मगर अक्सर परिपक्व दिखने की हमारी कोशिश की भैंस, पानी में बैठ जाती है और लाख मनाने पर भी टस से मस नहीं होती . अब भी ये दिल इतना फरेबी है कि कोई कमसिन सी शक्ल देखी नहीं कि फिसल गया !

(मुआफ कीजिये इस उम्र में ये शब्द शोभा नहीं देते - मगर हम इस  ' शोभा' को 'शोभा कपूर' और "शोभा डे" बनाकर जीतेन्दर जी और मीडिया हाउस को सौप आये है )
दिल गोया दिल न हुआ, शम्मी कपूर हो गया  और  गाने लगा " गुलाबी आँखे जो तेरी देखि शराबी ये दिल हो गया  ! "
इश्श्श्श  ...... ये  दिल भी न ! सच में फरेबी हो गया है - कोई तो संभाले इसे भी! 

Teenage दिल की बातें

दिल ये - फरेबी हो गया . 
थोड़ा सा lazy हो गया...
 हाँ, जबसे तू- मुझे मिला..
देखो न, कैसा crazy हो गया .. 

उस दिन - जब तुझको देखा !
फिर बस दिन हो या हो ये रातें-
बस तेरा ही सपना देखा ! 
तू ही मेरे इन सपनो का - 
"Patrick Swayze" हो गया ....

कितने confused से हम है ! 
जग सोये - तो जागे हम है ! 
चलते भी रुक रुक के हम है 
देखो न! -world ये मेरा
कैसा ये mazy हो गया ...

तुमसे- जो बात करे तो ! 
दो पल -भी साथ चले तो ! 
एक पल को आँख मिले तो !
दिल मेरा धक् धक् धड़के के - 
देखो न  !  frenzy हो गया … 

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