8 November 2015

-कुछ बातें खुद की खुद से

खुरचने बचीं है कुछ तेरे मेरे ख़्वाबों की
 गाहे बेगाहे चुभ जाती है आँखों में
*******************************

आज फिर हाथ आए थे कुछ टिश्यू पेपर
 आज फिर सोचा 
तेरे मेरे रिश्ते - रिश्ते थे या टिश्यू पेपर?

*****************************************

आज कितने दिनो बाद इत्मिनान से बैठी हूँ - 
वक़्त आज थोड़ा धीरे चलना  ....

*****************************************88

फिर से उठा है ये धुआँ, 
आज आसमान में देखो, 
जला होगा दिल किसी का, 
फिर जहान में .....

**********************************************

आज रात कही पे दीवाली होगी 
कुछ घरों में रातें प्लटें ख़ाली होंगी 
कुछ घरों में बोतल शराब की ख़ाली होगी 
कही पे ये रातें मातम वाली होगी


**************************************

सदा दी है तुझे मैंने 
-काश एक बार तू सुन 
उलझे हुए है रिश्ते ये अपने 
इनमे हो जाना ना तू गुम


******************************************

थोड़ी सी मैंने खर्ची है 
थोड़ी सी ख़ुशियाँ बाक़ी है 
थोड़ी तेरे संग गुज़ारीं है 
आधी सी पूरी बाक़ी है 
मैं तुझ में थोड़ी सी बाक़ी हूँ ....

****************************************
चुरा के मेरी नज़र, 
उड़ा चला दिल किधर, 
मुझ को नहीं खबर, 
या रब्बा मैं क्या करूँ ?

*****************************************

ख़ामोशियों से ... बातें करूँ 
ख़ुद से कुछ ..... वादे करूँ 
तेरी यादों में .... दिनो को 
ख़्वाबों की ....रातें करूँ

********************************************

No comments: