15 November 2015

काग़ज़ों क़ी क़लम से हुई थी बात क्या

काग़ज़ों क़ी क़लम से 
हुई थी बात क्या ? 
कहा था फिर क़लम ने क्या ?
लिखे क्या कुछ
लिए मेरे , अल्फ़ाज़ क्या ? 


मंज़िलो की रास्तों से 
हुई थी बात क्या ? 
मुड़ा था फिर वो रस्ता क्या ? 
रुकीं थी मंज़िले कुछ...
बनने मेरी - हमराह क्या ?

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