काग़ज़ों क़ी क़लम से
हुई थी बात क्या ?
कहा था फिर क़लम ने क्या ?
लिखे क्या कुछ
लिए मेरे , अल्फ़ाज़ क्या ?
मंज़िलो की रास्तों से
हुई थी बात क्या ?
मुड़ा था फिर वो रस्ता क्या ?
रुकीं थी मंज़िले कुछ...
बनने मेरी - हमराह क्या ?
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