हर त्यौहार पर हर चैराहो पर उस त्यौहार से जुड़े सामान , खिलोनो की जैसे एक बाढ़ सी आ जाती। आप को दिख जायेंगे छोटे छोटे मैले कुचेले लड़के लड़कियाँ जो आप के कपड़ों को खींच-खींच कर आग्रह करते है की आप उनसे कुछ खरीद ले.
उनके इर्द गिर्द नज़र आएगी आपको एक माँ जिसकी गोद में एक बच्चा होगा जो अमूमन सोया ही रहता है - चाहे दिन का कोई पहर हो। वो बच्चा उसकी माँ आपसे गिड़गिड़ाते हुए कहेगी - सुबह से कुछ नहीं खाया नहीं , कुछ ले लो। आप पसीज कर कुछ ले भी लेते है - मगर कब तक कहाँ तक और कितनो से खरीद पाते है आप ?
बहुत कुछ सुना है टीवी पर, अखाड़ो में , सोशल मीडिया पर, कई सारी फिल्मे भी बन चुकी है इस विषय पर - child trafficking पर !
कैलाश सत्यार्थी जी हमारे देश से ही है और बहुत महत्वपूर्ण योगदान है उनका इस सिलसिले में। मगर मैं उन पहलुओं पे नहीं जाना चाहती - मुद्दा है मैला कुचैला , लाचार, बेबस, भूख से बिलबिलाता बचपन - वो बचपन जो थाली में उतर आये चाँद को रोटी समझकर खाने को लपक पड़ता है - और फिर अपनी माँ से कहता है -
रोटी - चंदा को बना दो न !
उनके इर्द गिर्द नज़र आएगी आपको एक माँ जिसकी गोद में एक बच्चा होगा जो अमूमन सोया ही रहता है - चाहे दिन का कोई पहर हो। वो बच्चा उसकी माँ आपसे गिड़गिड़ाते हुए कहेगी - सुबह से कुछ नहीं खाया नहीं , कुछ ले लो। आप पसीज कर कुछ ले भी लेते है - मगर कब तक कहाँ तक और कितनो से खरीद पाते है आप ?
बहुत कुछ सुना है टीवी पर, अखाड़ो में , सोशल मीडिया पर, कई सारी फिल्मे भी बन चुकी है इस विषय पर - child trafficking पर !
कैलाश सत्यार्थी जी हमारे देश से ही है और बहुत महत्वपूर्ण योगदान है उनका इस सिलसिले में। मगर मैं उन पहलुओं पे नहीं जाना चाहती - मुद्दा है मैला कुचैला , लाचार, बेबस, भूख से बिलबिलाता बचपन - वो बचपन जो थाली में उतर आये चाँद को रोटी समझकर खाने को लपक पड़ता है - और फिर अपनी माँ से कहता है -
Image is symbolic - Courtesy Internet |
रोटी - चंदा को बना दो न !
बड़ी भूख लगी है, अम्माँ
कुछ भी हमें खिला दो न !
मुन्नी भी भूखी,
मैं भी भूखा,
दे दो कुछ भी जो रुखा सूखा।
वरना
उबले पानी ही से, अम्मा
मुन्नी की भूख मिटा दो न! .
बड़ी ज़ोर से भूख लगी है,
अम्मा कुछ तो खिला दो न !
वो देखो अम्माँ,
मेमसाब की गाडी में
फिरते है जो कुत्ते बिल्ली,
ठाट बाट से रहते है वो
अमरीका हो या हो दिल्ली !
उनका बासा, जूठा कुछ भी
मांग कर दिलवा दो न !
बड़ी ज़ोर से भूख लगी है
अम्मा कुछ खिला दो न !
देखो न अम्मा,
उन बच्चो की अम्माँ उनको
कैसे कैसे लाड़ लड़ाए ।
मनचाही चीज़ों का
पल भर में अम्बार लगाए ।
कुछ कह सुन कर
उन लोगो से तुम
हमको भी कुछ दिलवा दो न !
बड़ी ज़ोर की भूख लगी है
कुछ भी तो खिला दो न!
बंगले वाली मेमसाब के
देखो कितने ठाठ निराले !
तेरे हाथो में तो अम्माँ
पड़े है कितने सारे छाले !
फिर भी जाने क्यूँ हमको
पड़े है यूँ खाने के लाले?
हाथ जोड़कर भगवन को
आओ हम सब मना ले न !
हाथ जोड़कर भगवन को
आओ हम सब मना ले न !
बड़ी ज़ोर की भूख लगी है
अम्मा कुछ खिला दो न!
हे भगवन,
मेरी अम्माँ को दुःख से उसके
थोड़ी, निजात दिला दो न!
थोड़ी, निजात दिला दो न!
आज रात अम्मा, बाबा,
मुन्नी और मुझको,
रोटी, भात खिलवा दो न !
सुनो न भगवन !
एक बात कहता हूँ सच्ची।
पर इस बात पर तुम मुझसे
कहीं हो न जाओ कट्टी!
लोग भक्ति और श्रद्धा से
तुम पर कितनी भेंट चढ़ावे।
कोई दूध, मलाई, कोई
खीर- पूरी का भोग लगाये।
दूर खड़े हम भूखे, प्यासे
दो कौर को तरसे जाए !
तुमसे एक बिनती है, भगवन
पथ्थर के इन इंसानो को तुम
थोड़ा इंसान बना दो न !!
शुष्क ,कठोर इंसान हृदय में
दया का कमल खिला दो न!
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