ख़्वाबों पे कहाँ बंदिश है जनाब?
बस चॅनेल बदलिये
पलक झपकते ही ख्वाब बदलते है!
किरदार बदलते है!
गोया ज़िंदगी न हुई,
रिमोट हो गयी !
कितने ख्वाब बेचते है वो,
महज़ 30 सेकेंड मे !!!
यहाँ तो उम्र कट जाती है,
और एक भी ख्वाब पूरा नही हो पाता !!
तो क्या,
आप ये सपने जी नहीं पाते ?
तो क्या,
जो आप इन्हे
पलकों में सी नहीं पाते ?
ये होते है हमेशा ,
आपके आस पास !!
फिर चाहे
मौसम कोई हो
चाहे आपकी
खुशियां रोई हो !
यकीं मानिये
ये महज़ इश्तेहार नहीं है !
महज़ सपने नहीं है !
उम्मीदें है !!
कितनी ही आँखे,
बस इन्हे देखते देखते,
सो जाती है - हमेशा के लिए !!
मगर, कभी भी
नाउम्मीद नहीं होती आँखे !!
सच ही तो है न,
ये सिर्फ इश्तेहार नहीं है,
ये हमारे जीने का सामान है !!!
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