2 October 2015

गांधी जयंती - सफाई अभियान



"माँ , मैं जा रहा हूँ" - दिनेश बोला।

"अरे रुक तो - बेटा ये चाय रोटी रखी, है खा लेता न !"

"नहीं माँ ! आज गांधी जयंती है - और हमारे स्कूल के बच्चे और टीचर सब सफाई करेंगे स्कूल के आस पास।  मैं भी करूँगा माँ। "
दिनेश बोला -"पता है, अपने प्रधानमंत्री जी कहते है, सफाई रखो,"
" इससे मुन्नी भी बीमार नहीं होगी माँ - तुम भी नहीं। जाता हूँ माँ  ……। " और   दिनेश दौड़ते हुए स्कूल की और चला गया।

रेखा  ने लम्बी  साँस  ली - और जल्दी जल्दी चाय पी। आज तो रश्मिबेन  ने  जल्दी बुलाया था।   ताला लगा कर मुन्नी को गोद  में उठा  रश्मिबेन बेन के  घर के लिए चल पड़ी   - वहां झाड़ू पोछा करती थी वो।

दिनेश दौड़ता हुआ स्कूल पंहुचा - वहां   सब  थे - राघव, प्रथम,भौमिक कौस्तुभ और बाकी स्कूल के  सब बच्चे और सभी टीचर्स।

दिनेश शहर के  लाल चौक  झोपड़पट्टी विस्तार में मुंसिपल्टी द्वारा संचालित नगर प्राथमिक स्कूल न. २४  में पढता था।

राघव बोला -" क्या फालतू काम पे लगाया यार सुबह सुबह,साल्ला !"

"चलो बच्चो " - प्रिंसिपल बोले और फिर अगले पंद्रह मिनट में  सब बच्चे हाथो में झाड़ू , डस्टबिन , तख्तिया  लिए गलियों में  निकल पड़े।

जगह जगह से पॉलिथीन , कचरा उठान शुरू किया सबने -    झाड़ू लगाई।

किसी को गन्दगी उठाना बुरा नहीं लगा  - यही देखा था उन्होंने, अपने माँ बाप को दुसरो के घरो में करते हुए।  बरसो से।
सबकी माँ , बहने , चाची   यही तो   काम करती  थी  - ऑफिस में , घरो में , अस्पतालों  में , सड़को पर ,

 मयूर बोला - "क्या  साला  बड़े होकर भी येईच काम करने का है और साला अभी भी ? क्या भंकस ज़िन्दगी है अपुन लोगो की भी।"

दिनेश बोला -" यार अपना ही तो मोहल्ला साफ़ हुआ न - कम बीमार होंगे "

कौस्तुभ बोला -" अरे नहीं , अब तो ज्यादा बीमार होने - साल अपुन लोगो को कहाँ साफ़ सुथरा रहने की आदत है। "
सब बच्चे हंस पड़े।

"शायद इन बच्चो की किस्मत मे कभी नही आएँगे  अच्छे दिन " -  आत्मन सर  ने  अपनी चुपके से अपनी  आँखे पोछ ली और बच्चों  के साथ आगे  चल पड़े










No comments: