8 September 2015

सिसकियाँ रात भर यूहीं रोती रही.



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LYRICS 

सिसकियाँ रात भर यूहीं रोती रही.
सारी नींदे ज़हाँ की यूँ ही सोती रही. 


था आवारा मगर 
घूमता रात भर
चाँद को भी नही थी 
ज़रा सी ख़बर 
चाँदनी रात को यूँ भिगोती रही  ....... 

सिसकियाँ रात भर यूहीं रोती रही.....  
सारी नींदे ज़हाँ की यूँ ही सोती रही . 



चाहतो का असर
हो गया बेअसर 
उसकी नज़र में 
 नही  मेरी क़दर 
रंजिशे ज़िदगी  भर यूँही ढोती रही ...
सिसकियाँ रात भर यूहीं रोती रही.… 
सारी नींदे ज़हाँ की यूँ ही सोती रही . 




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