8 August 2015

बोलो …… है न???



नीले गगन  ने  सुबह के चेहरे पे 
क्यों   सिन्दूरी  रंग  भर  दिया  ?

ओस  की भीनी  भीनी  पलक  से  
क्यों, नदियों ने  तन  भर लिया ?


झीना सा खुश्बू का आँचल उड़ा कर, 
फूलो  ने  ये क्या कह दिया ?

बारिश पहन कर, सूरज की किरणो  ने,
सतरंगी   रंग क्यों  भर दिया ?

पंछी  की टोली ने, देखो गगन पे , 
 न जाने ये क्या  लिख दिया ? 

ये सब हुआ क्यों  ?
ये सब हुआ यूँ  ....... 
कि तूने ही  खुद को 
आज  मेरे ही  नाम कर दिया .......... 

बोलो    …… है  ???   






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