नीले गगन ने सुबह के चेहरे पे
क्यों सिन्दूरी रंग भर दिया ?
ओस की भीनी भीनी पलक से
क्यों, नदियों ने तन भर लिया ?
झीना सा खुश्बू का आँचल उड़ा कर,
फूलो ने ये क्या कह दिया ?
बारिश पहन कर, सूरज की किरणो ने,
सतरंगी रंग क्यों भर दिया ?
पंछी की टोली ने, देखो गगन पे ,
न जाने ये क्या लिख दिया ?
ये सब हुआ क्यों ?
ये सब हुआ यूँ .......
कि तूने ही खुद को
आज मेरे ही नाम कर दिया ..........
बोलो …… है न???
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