सबकी सदा सुनता है, मेरी भी सुन ले तू , या अल्लाह !
भटके हुए राही को, उसकी राह दिखा दे, या अल्लाह !
किसका, रस्ता सदियों से, देख रहा है ये साहिल,
मौज, किनारा, कोई सहारा, उसको दिला दे, या अल्लाह !
रिश्तो के पेड़ो की शाख़ें, पतझड़ में सारी सूख गई,
रिश्तों की इन सूखी शाख़ो को, फिर से जिला दे , या अल्लाह !
भीड़ भरे इस शहर में हर कोई कहीं पे खोया है।
खोये हुए इन लोगो को तू, को खुद से मिला दे, या अल्लाह !
दिन हरदम रोता है , रात सिसकती है ,
थोड़ा सबर इस वक़्त को सिखला दे, या अल्लाह !
चूड़ी टूटी उस माँ की क्या न जाने क्यों?
जीने और मरने का कोई, सिला दे, या अल्लाह !
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