21 August 2015

या अल्लाह !


सबकी सदा  सुनता है,  मेरी भी  सुन ले तू , या अल्लाह !
भटके हुए राही  को, उसकी  राह दिखा  दे,  या अल्लाह !

किसका, रस्ता सदियों से, देख रहा है ये  साहिल, 
मौज, किनारा, कोई सहारा, उसको दिला दे,  या अल्लाह !
  
रिश्तो के पेड़ो की  शाख़ें, पतझड़ में सारी  सूख  गई, 
रिश्तों की  इन सूखी  शाख़ो  को, फिर से जिला दे , या अल्लाह !

भीड़ भरे इस शहर में हर कोई कहीं पे  खोया है।  
 खोये हुए इन लोगो को तू,  को खुद से मिला दे, या अल्लाह !

दिन हरदम रोता है , रात सिसकती है ,
थोड़ा सबर इस वक़्त को  सिखला दे, या अल्लाह !

चूड़ी टूटी उस माँ की क्या न  जाने  क्यों? 
जीने और मरने का कोई, सिला  दे,  या अल्लाह !

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