6 August 2015

मैं ,मीलो यूँ गुज़र जाऊँ ……


समुन्दर की 
इन लहरों  में, 
मैं खो जाऊँ, 
मैं सो जाऊँ। 
नीली गीली लहरों  संग ,
मैं ,मीलो  यूँ गुज़र जाऊँ …… 

मोती  बन के  सीपी में 
मैं, सज  जाऊँ, 
निखर  जाऊँ। 
मोती बन अँगूठी में। 
मैं,  उँगली  में  संवर  जाऊँ …… 

बादल बन  हवाओँ में, 
मैं बह जाऊँ, 
मैं उड़ जाऊँ। 
बारिश बन के आँगन में, 
मैं, बूँदो सी बरस जाऊँ  …… 


सोंधी सोंधी ख़ुश्बू  में, 
मैं घुल जाऊँ,
पिघल जाऊँ।
सतरंगी नज़ारो  में, बहारों में  , 
मैं रग रग में यूँ बस जाऊँ।  



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