1 July 2015

छुप गए हो तुम कहाँ


काली काली घटा की
झुलफे बिखरी जहाँ
बूंदों की बारिशो में
आओ भीगे वहाँ
तू छुप गया है कहाँ ....


गीली गीली रेतों में
जो बन गए तेरे निशां
ढूंढती साहिलों पर
तुम छुपे हो कहाँ??

ये नशीली सी आँखे
जिनमे है सपने धुँआ
ये फ़िज़ा धीरे धीरे
हो गयी है जवाँ
आओ चल दे वहाँ
न हो कोई जहां
छुप गए हो तुम कहाँ

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