2 July 2015

ज़िन्दगी



रेत सी फिसलती रही
कतरा कतरा रेज़ा रेज़ा
पानियों सी बहती रही
दर्रा दर्रा ज़र्रा ज़र्रा

हर दौर नया एक ले आई
दरिया दरिया सेहरा सेहरा
ज़िन्दगी तुझको मैं देखूँ
होकर यूँ हैराँ हैराँ

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