22 July 2015

हम यूँ बहकने लगे


होंठ  शबनमी  रातो के
हो गये  है  नम ,
मेरी आँखे, तेरी आँखो से
बाते कर रही सनम।

फ़ासले दरमियाँ अब
मिटाओ भी  दो तुम
हम मे तुम, तुम मे हम
आओ  आज हो जाए गुम।

रेत की तरह हम भी
फिसलने लगे
लो थाम  लो  हमे
हम यूँ बहकने लगे।


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