आँखे ये बाँचती है
कुछ अनकही सी बाते ।
खतो से झाँकती है
कितनी अनकही सी बाते ।
वो तेरे पीछे चलना
गिरते हुए संभालना ।
याद आ रही है
गुज़र गयी जो राते।
दुपट्टा यूँ उड़ाना
फिर खुद ही यूँ लजाना ।
कनखियों से यूँ तकना
तुझे वो जाते जाते ।
तू जाने क्यों हवा है
न खबर नहीं पता है ।
दे जाता अपना पता तू
एक बार लौट आके।
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