3 July 2015

कुछ अनकहे सी बाते


आँखे ये बाँचती है
कुछ अनकही सी बाते ।
खतो से झाँकती है
कितनी अनकही सी बाते ।

वो तेरे पीछे चलना
गिरते हुए संभालना ।
याद आ रही है
गुज़र गयी जो राते।

दुपट्टा यूँ उड़ाना
फिर खुद ही यूँ लजाना ।
कनखियों से  यूँ तकना
तुझे वो जाते जाते ।

तू जाने क्यों हवा है
न खबर नहीं पता है ।
दे जाता  अपना पता तू
एक बार लौट आके।


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