24 July 2015

क्यों आज भी ??



खत किताबो से निकाले है मैंने,  क्यों आज ही ?
एक अरसे  के बाद याद आया  तू,  क्यों आज  ही  ??

वक़्त  की एक धूल सी जमी  थी यादो पर  कही 
उस धूल को  हवाओँ ने उड़ाया, क्यों  आज  ही  ?

रिश्तो की इस भीड़ में खोये कहीं तुम हम कहीं 
इस मोड़ पर  किस्मत ने मिलाया, क्यों आज  ही  ? 

वो  प्यार था, इजहार था, इकरार था  या  इंकार ही 
देखा  है जब तुम्हे, तो सोचा है , क्यों आज भी ?

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