खत किताबो से निकाले है मैंने, क्यों आज ही ?
एक अरसे के बाद याद आया तू, क्यों आज ही ??
वक़्त की एक धूल सी जमी थी यादो पर कही
उस धूल को हवाओँ ने उड़ाया, क्यों आज ही ?
रिश्तो की इस भीड़ में खोये कहीं तुम हम कहीं
इस मोड़ पर किस्मत ने मिलाया, क्यों आज ही ?
वो प्यार था, इजहार था, इकरार था या इंकार ही
देखा है जब तुम्हे, तो सोचा है , क्यों आज भी ?
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