29 July 2015

कुछ भूली गई वो कसमे है,



कुछ भूली गई   
वो कसमे  है,
कुछ काँधो पे 
लदी रस्मे है, 
कुछ वादे है 
इरादे है 
मेरे यादो के 
वीराने में। 



कुछ चूर हुए 
मजबूर हुए 
तनहा से मेरे सपने।   
आस लगाये बैठे  है
कुछ सपने है 
जो अपने है  
तेरी नींदों के 
सिराहने में। 

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