गुनगुनाना चाहा तुझे और,
तेरे खयालो को, सुन!
मनचले से भँवरे सा तू , हो गया क्यों ग़ुम !
ढूँढू तुझे जाने कहाँ- कहाँ !!
तू बता दे मैं आऊँ वहां
मुझको सुन लो मुझको चुन लो,
अब मेरे ही सपने तू बुन ,
मनचले से भँवरे सा तू , हो गया क्यों ग़ुम ??
पानियों पे मैंने गीत लिखे
और हवा पे, धुन।
आसमाँ ज़मीं और बादल,
अपनी बाते है करते क्यों , सुन !
मनचले से भँवरे सा तू , हो गया क्यों ग़ुम !
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