23 July 2015

मनचले से भँवरे सा तू , हो गया क्यों ग़ुम !



गुनगुनाना  चाहा  तुझे और, 
तेरे खयालो को, सुन!
मनचले से  भँवरे सा तू ,  हो गया क्यों   ग़ुम !

ढूँढू  तुझे जाने  कहाँ- कहाँ !!
तू बता दे  मैं आऊँ वहां 
मुझको सुन लो  मुझको चुन लो, 
अब मेरे  ही सपने तू बुन ,
मनचले से  भँवरे सा तू , हो गया क्यों   ग़ुम ??


पानियों पे  मैंने गीत लिखे
और हवा पे, धुन।  
आसमाँ ज़मीं और बादल,
अपनी बाते  है करते क्यों , सुन !
मनचले से  भँवरे सा तू ,  हो गया क्यों   ग़ुम !








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