22 July 2015

पत्थर के सनम

वो कहते है  -सुनो!
हम है, 
पत्थर के सनम !
कुछ न कहते है, 
 कुछ न सुनते है, 
इस पत्थर की 
दुनिया में हम भी रहते है !

सुनो, 
न उम्मीद लगाना  
हमसे कोई !
न सजाना हमसे 
सपना कोई !
इस जहाँ में 
न खुशियाँ है न ग़म  !
हमसे मिलकर 
हो जाओगे तुम भी
पत्थर के सनम !


हमने  कहा   -सुनो ,
वो जो पत्थर है,
उन्हें  पिघलते
देखा है हमने ! 
कितने अंधियारे हो, 
दियो को जलते 
देखा है हमने !

तो क्या, 
जो तुम पत्थर के हुए?
यूँ भी  हर मंदिर में ,
पत्थर के खुदा 
रहते है 
सुनो अब तूम
मेरे मन मंदिर के 
अब से 
तुम ख़ुदाया हुए। 


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