जब खुद दिल ही दिल का साथ न दे,
तो दिल क्या करे ?
समझ में आये ना ,
जीए या मरे ??
यहाँ चलूँ या वहाँ रुकूँ ?
कदम मेरे,
यूँ रुक रुक कर फिर से चले
तो दिल क्या करे ?
दिन बंजारा, दिन भर चले।
पर रात की पलके
सुबह तक भी न खुले,
तो दिल क्या करे ?
कुछ ख्वाब चुने, कुछ ख्वाब बुने।
युहीं आँखों में
ख्वाबो का दिया जले,
तो दिल क्या करे ?
तुझ संग जियूँ ,तुझ संग मरू।
दिल ये जो मेरा
बस तुझ पे मरे ,
तो हम क्या करे ?
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